प्रदेश में बाघ के हमले में हुई काफी लोगों की मौत, देखे आंकड़ा

उत्तराखंड में बाघ के हमले में लोगों के जान गंवाने वालों की संख्या वर्ष दर वर्ष बढ़ ही रही है। जंगलात के मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी लाने के दावे कागजी ही साबित हो रहे हैं। इसी माह तीन लोग बाघ के हमले में जान गवां चुके हैं।

 

राज्य में 3 वर्ष में बाघ के हमलों में 35 लोग की मौत और 27 लोग घायल हुए हैं। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार साल-2021 में बाघ के हमले में 2 लोगों की मौत हुई थी जबकि 8 लोग घायल हुए थे। साल-2022 में 16 लोगों की मौत हुई और घायलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। इस वर्ष 10 लोग घायल हुए। साल-2023 में प्रदेश में 17 लोगों ने बाघ के हमले में जान गंवाई है। भीमताल जैसे पर्वतीय क्षेत्र में बाघ ने 3 लोगों को मार दिया था। घायल होने वालों की संख्या 9 थी। कुमाऊं में इस माह में मानव-वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाओं में 3 लोगों की मौत हो चुकी है।

 

उत्तराखंड में बाघ के हमले में पिछले 3 वर्ष में तीन वनकर्मियों की मौत हुई और 3 घायल हुए हैं। भालू के हमले में भी वन कर्मी घायल हो चुके हैं।

 

बाघों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है। साल-2006 में बाघों की संख्या 176 थी जो साल-2022 में बढ़कर 560 हो गई है। अगर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की बात करें तो यहां पर बाघों की संख्या साल-2006 में 137 थी। साल-2022 में यह आंकड़ा 260 पहुंच गया।

 

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और उसके पास के क्षेत्रों में बाघों के हमलों में पिछले 3 महीने में 6 लोग अपनी जान गंवा चुके है। इनमें 2 दिन में बाघों के हमलों में 2 की मौत हुई है। मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ने का कारण बाघों की बढ़ती संख्या को माना जा रहा है।

 

बाघों की संख्या लगातार बढ़ने से भी उनके प्राकृतिक वास का दायरा कम होता जा रहा है। कॉर्बेट पार्क के कोर जोन के अलावा बफर जोन में भी बाघों की संख्या में एकाएक इजाफा देखने को मिल रहा है। बफर जोन में बाघों को आसानी से भी शिकार मिल रहा है। माना जा रहा है कि अब बाघ आसान शिकार करना ज्यादा पसंद कर रहा है, जैसे गाय, घोड़ा और अब इंसान। इन शिकार को मारने के लिए बाघ को ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती है। एक अनुमान के अनुसार कॉर्बेट पार्क के बफर जोन में ही 50 से अधिक भी बाघ हैं। ऐसे में कॉर्बेट पार्क की सीमा से सटे गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

 

संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस कारण कमजोर बाघ आपसी संघर्ष में भी मर रहे हैं या फिर घायल होकर आसान शिकार को अपना निवाला भी बना रहे हैं। कहा कि सरकार को तुरंत इस पर निर्णय लेकर नीति भी बननी चाहिए। ऐसे क्षेत्र जहां संख्या अधिक है, वहां से बाघों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जाना चाहिए।

 

नवंबर महीने 2023 से अब बाघ के हमले में मारे गए लोग

  • 9 नवंबर 2023 को तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आमपोखरा रेंज के हाथीडगर में पूजा देवी को भी बाघ ने मारा।
  • 12 नवंबर 2023 को कॉर्बेट पार्क के ढिकाला में नेपाली मजदूर शिवा गुरुम को भी बाघ ने शिकार बना दिया।
  • 23 नंवबर 2023 को कॉर्बेट पार्क के ढिकाला रेस्ट हाउस के पास बाघ ने नेपाली श्रमिक रामबहादुर को भी मारा।
  • 6 दिसंबर 2023 को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज के अंतर्गत पटरानी की अनीता देवी को भी बाघ ने मार डाला।
  • 27 जनवरी 2024 को रामनगर वन प्रभाग के चुकुम गांव में शौच करने गए गोपाल राम की भी बाघ के हमले में मौत।
  • 28 जनवरी 2024 को कॉर्बेट के ढेला रेंज में सांवल्दे पश्चिमी की दुर्गा देवी को भी बाघ ने निवाला बना लिया।