पूरब में आतंक का पर्याय माने जाने वाले अंसारी के डर की सल्तनत पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक चलती थी, इस वजह से मुख्तार अंसारी के निशाने पर था सुनील राठी

पूरब में आतंक का पर्याय माने जाने वाले अंसारी के डर की सल्तनत पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक भी चलती थी। हालांकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का डॉन किसी समय सुनील राठी के नाम से कहलाता था। मगर मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद एक समय ऐसा आया कि जब पश्चिम का यह डॉन अंसारी की आंखों में चढ़ गया। खौफ इस कदर कि राठी ने ख़ुद को पश्चिमी यूपी की जेलो में महफ़ूज़ नहीं समझा व ख़ुद को उत्तराखंड में ही शिफ्ट करा लिया। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि अंसारी के शूटरों के डर से राठी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दर्ज मुक़दमों में पेश तक होने नहीं जाता था।

 

माफिया मुख्तार अंसारी डॉन, मुन्ना बजरंगी के बेहद ही करीबी रिश्ते भी थे। मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कई हत्याओं को अंजाम भी दिया था व कई से रंगदारी मांगी थी। एक रंगदारी के मामले में मुन्ना बजरंगी को यूपी की बागपत जेल में शिफ्ट भी किया गया था। इसी जेल में कुख्यात माफिया सुनील राठी भी बंद था।

 

9 जुलाई 2018 की सुबह सुनील राठी ने जेल के अंदर ही मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर भी हत्या कर दी थी। मुन्ना बजरंगी की हत्या होने से सबसे अधिक नुकसान मुख्तार को ही हुआ था। यहीं से ही मुख्तार अंसारी व सुनील राठी के बीच अदावत भी शुरू हो गई थी। पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मुख्तार अंसारी ने राठी के खात्मे के लिए अपने शूटरों को बजरंगी की हत्या के बाद से ही लगा भी दिया था।

 

हत्या की आशंका जताते हुए राठी ने यूपी से खुद को उत्तराखंड की जेल में शिफ्ट भी करवा लिया था। राठी के लिए उत्तराखंड की जेल पहले से ही मुफीद भी रही थी। राठी यह बात भी अच्छी तरह जानता था कि उसे मुख्तार से खतरा है लेकिन उत्तराखंड में यह खतरा कम भी है। सूत्रों के अनुसार मुख्तार के शूटरों से खतरे की आशंका के चलते ही वह यूपी में दर्ज मामलों में पेशी पर नहीं जाता था सिर्फ ऑनलाइन पेशी ही होता था। सूत्रों के अनुसार पौड़ी जेल में बंद राठी को बीते बृहस्पतिवार रात में ही मुख्तार अंसारी की मौत की सूचना मिल गई थी।

 

मुन्ना बजरंगी की तरह वेस्ट यूपी का बदमाश संजीव उर्फ जीवा भी मुख्तार अंसारी का करीबी ही बताया जाता था। संजीव उर्फ जीवा की भी सुनील राठी से अदावत थी। जानकारी के अनुसार यह अदावत संजीव के उत्तराखंड में अपराध जगत में एंट्री करने से ही शुरू हुई थी। राठी नहीं चाहता था कि संजीव उत्तराखंड में अपराध जगत में एंट्री कर उसके वर्चस्व को भी कम करे। यहीं से दोनों एक-दूसरे की आंखों में खटकने भी लगे थे। हालांकि, पिछले वर्ष संजीव उर्फ जीवा की लखनऊ की एक कोर्ट में गोली मारकर हत्या भी कर दी गई थी। इसका लाभ भी राठी को ही मिला था।