देहरादून में जीत और हार में महिलाएं निभाएंगी अहम किरदार, एक बार आंकड़ों पर डाले नजर

इस बार लोकसभा चुनाव में देहरादून जिले में महिला व पुरुष बराबरी से प्रत्याशियों की सियासी तकदीर भी लिखेंगे। आंकड़े बताते हैं कि जिले में टिहरी गढ़वाल व हरिद्वार लोकसभा सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के लगभग बराबर ही पहुंच चुकी है। प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला वोटर्स की संख्या 923 तक पहुंच गई है।

 

तस्वीर साफ है कि इस बार के चुनाव में दोनों लोकसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं को पीछे तो नहीं किया जा सकेगा। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ने के साथ ही महिला मतदाता अहम भी होती जा रही हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं मतदाता सूची में बराबरी के मुकाम से कुछ ही कदम की दूर हैं। टिहरी गढ़वाल लोकसभा में शामिल देहरादून जनपद के हिस्से में पुरुष मतदाताओं की संख्या 5.12 लाख तक है, वहीं महिला मतदाता महज थोड़ा पीछे 4.74 लाख के आंकड़े पर भी पहुंच चुकी हैं।

 

इसी लोकसभा में शामिल टिहरी गढ़वाल जिले में पुरुष मतदाता 1.75 लाख हैं, तो वही महिला मतदाता 1.66 लाख है I

उत्तरकाशी जिले में पुरुष मतदाता 1.24 लाख और तो वही महिला मतदाता 1.18 लाख हैं।

टिहरी लोकसभा के तीनों जिलों में महिला व पुरुष मतदाताओं में कोई बड़ा फासला ही नहीं रह गया है।

हरिद्वार लोकसभा का भी यही हाल है। इस लोकसभा में शामिल देहरादून की 3 विधानसभाओं में पुरुषों मतदाताओं का आंकड़ा 2.92 लाख है, तो वही महिला मतदाताओं की संख्या 2.69 लाख है।

 

देहरादून की 10 विधानसभाओं में महिला मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। सबसे अच्छी स्थिति अभी डोईवाला की है। इस क्षेत्र में प्रति 1000 पर 962 महिला मतदाता हैं, जबकि सबसे कमतर धर्मपुर में है। सर्वाधिक महिला मतदाताओं वाली विधानसभा होने के बाद भी यहां पर पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष महिला मतदाताओं का अनुपात अभी 877 तक ही पहुंच चुका है।

 

महिला मतदाता एक हजार पुरुषों की तुलना में : चकराता विधानसभा में 841, विकास नगर विधानसभा में 943, सहसपुर विधानसभा में 961, धर्मपुर विधानसभा में 877, रायपुर विधानसभा में 928, राजपुर रोड विधानसभा में 921, देहरादून कैंट विधानसभा में 918, मसूरी विधानसभा में 933, डोईवाला विधानसभा में 962 और ऋषिकेश विधानसभा में 936

 

देहरादून डीएम सोनिका ने कहा इस बार जागरूकता अभियान चलाकर प्रमुखता के साथ महिलाओं को वोटर बनाने का काम भी किया गया है। पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप लगाकर महिला मतदाताओं को वोटर भी बनाया गया है। इसका असर है कि महिला-पुरुष मतदाताओं का अनुपात काफी बेहतर स्थिति में भी पहुंच गया है। इसके सकारात्मक परिणाम भी आएंगे।