जलवायु परिवर्तन की वैश्विक समस्या का निदान प्रकृतिपर्व हरेला में निहित – भगतसिंह कोश्यारी

देहरादून। भारतीय वृक्ष न्यास द्वारा उत्तराखंड के हरेला लोकपर्व को विश्वपर्व के रूप में मनाए जाने जनाभियान संचालित किया जा रहा है जिसके तहत हरेला दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय वृक्ष दिवस की सर्वमान्यता हासिल करने वाला लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हरेला बोने वाले दिन यानि बीते 6 जुलाई को देवभूमि उत्तराखंड स्थित धार्मिक नगरी हरिद्वार में आयोजित संत सम्मेलन के द्वारा वृक्ष दिवस अभियान का शुभारंभ किया गया जो अनवरत जारी है। हरेला के अवसर पर देहरादून स्थित एडीफाई वर्ल्ड स्कूल में भव्य हरितोत्सव मनाया गया जिसमे पौधारोपण के साथ हरेला जागरूकता सम्मेलन आयोजित हुआ।

हरेला महासम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सोमवार पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जूझ रही है, निरंतर गंभीर होती इस चुनौती का सामना केवल हरेला जैसा लोकपर्व ही कर सकता है जो उत्तराखंड की प्राचीनतम परंपरा है। उन्होंने कहा कि कुमायूं अंचल की संस्कृति में रचा बसा हरेला प्रकृति पर्व अब देश दुनिया में अपने बढ़ते महत्व के कारण अलग पहिचान बना रहा है, हरेला को अंतरराष्ट्रीय वृक्ष दिवस की मान्यता मिलनी ही चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वृक्ष लगाना सबसे बड़ा पुण्यकर्म होता है, हमें एक पेड़ अपनी मां के नाम और एक पेड़ अपने नाम जरूर लगाना चाहिए।

वहीं हरेला महासम्मेलन में मुख्यवक्ता के रूप में शामिल हुए भारतीय वृक्ष न्यास के अध्यक्ष हरितऋषि विजयपाल बघेल (ग्रीनमैन ऑफ इंडिया) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हर दिन कोई न कोई विशेष दिवस मनाया जाता है लेकिन प्राणवायु उत्पादित करने वाले पेड़ के लिए समर्पित कोई भी एक दिन अभी तक घोषित नहीं किया जा सका है, यह गंभीर चिंताजनक है। ग्रीनमैन ने आगे कहा कि वृक्ष के रोपण से लेकर संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्षभर में कोई एक दिन चयनित किया जाए तो वह एकमात्र आगामी 16 जुलाई की तिथि ही सबसे अनुकूल है क्योंकि इस दिन घटित होने वाली खगोलीय घटना से सूर्यदेव दक्षिणायन होते हैं और कर्क संक्रांति के रूप में प्रकृति महापर्व होता है, इसलिए आगामी 16 जुलाई को विश्व स्तर पर वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाए। उन्होंने अपने व्याख्यान में आगे बताया कि हरेला के मूल में वृक्ष ही है जिसके संरक्षण और संवर्धन के लिए हरेला प्रेरित करता है। वृक्ष दिवस अभियान के संयोजक सुरेश सुयाल ने अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अपनी कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी दी।

इस दौरान भारतीय वृक्ष न्यास के निदेशक रंजीत सिंह ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि से वृक्ष संरक्षण के मामले में दुनिया को नई दिशा दी है, दो तिहाई हरित क्षेत्र होने के बाबजूद चिपको आंदोलन की गूंज यहीं से निकली। विद्यालय की प्राचार्या हरलीन कौर चौधरी ने एडिफाई स्कूल की पर्यावरणीय गतिविधियों के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए अतिथियों का पौधा भेंटकर सम्मान किया। छात्र छात्राओं द्वारा हरेला गीत गाकर विचार व्यक्त किए, संचालन भी विद्यार्थियों द्वारा किया गया। हरेला महासम्मेलन में पांच सौ से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ पौधारोपण करके किया गया।