केदारनाथ मंदिर: 228 किलो सोना गायब – विवादों में घिरा एक प्रसिद्ध हिन्दू धाम

श्री केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल होने के साथ उत्तराखंड के चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। लेकिन आज इस मन्दिर में भक्तो के जयकारों की गूँज कम, और विरोध की आवाज़ें ज्यादा गूंजती आ रही हैं।

केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब होने का क्या है मामला?

केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब होने का मुद्दा तूल पकड़ता नजर आ रहा है। दअरसल ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब होने का जिक्र किया है। जिसे “सोना घोटाला” नाम दिया है। आपको बता दें कि सोना घोटाला का पहला मामला जून 2023 में सामने आया था। तब केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया था कि मंदिर के गर्भगृह की दीवारों के लिए 125 करोड़ रूपये का सोना दान में दिया था। लेकिन उसके स्थान पर तांबे का इस्तेमाल किया गया। और अब अवि मुक्तेश्वरानंद ये सवाल उठाते नज़र आ रहे हैं।

आखिर क्यों शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने उठाया है सवाल?

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना गायब होने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना गायब हो गया। लेकिन अब तक इसकी कोई जांच नहीं की गई।

मंदिर समिति के अध्यक्ष ने क्या दिया जवाब?

बद्री केदार मंदिर समिति बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इस पूरे मामले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है I उन्होंने कहा, ‘मैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का सम्मान करता हूं लेकिन वह दिन भर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहते हैं I विवाद खड़ा करना, सनसनी फैलाना और खबरों में बने रहना उनकी आदत हो गई है.’

 

दिल्ली के बुराड़ी में, केदारनाथ मन्दिर बनाने का क्यों हो रहा विरोध?

अब इस सोने घोटाले के विरोध में आम लोग ही नहीं बल्कि मंदिर के पुजारी और पुरोहित भी शामिल हैं। जिसके लिए एक स्वर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा हैं। इस बीच दिल्ली के बुराड़ी में, केदारनाथ मन्दिर के निर्माण को लेकर भी आक्रोश जताया जा रहा है। वहीं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नाराजगी जताते हुए केदारनाथ धाम ट्रस्ट और उत्तराखंड राज्य सरकार से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत पड़ रही है? उन्होंने आरोप लगाया की इस कदम से केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का प्रयास किया गया है। शंकराचार्य ने कहा कि मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जिसे सतयुग का ज्योतिर्लिंग कहा गया है।
अब देखना ये है कि सोने की चोरी के जो भी आरोप लग रहे हैं वो सही हैं या नहीं !