कुरकुरे, चिप्स जैसे जंक फूड खाकर बीमार पड़ रहे बंदर, ये हो रहा है असर

ख़ास रिपोर्ट : न्यूज़ रिपोर्टर नेटवर्क से

रुद्रपुर में प्रकृति के विरुद्ध खानपान से बंदरों की प्रवृत्ति में भी बदलाव देखने को तो मिल ही रहा हैं। बंदर स्किन इंफेक्शन के शिकार भी होते जा रहे हैं। बंदरों को खिलाए जाने वाले जंक फूड से बंदरों में डर्मेटाइसिस रोग के फैलने की आशंका भी प्रबल होने लगी है।

जंगलों में रहने वाले बंदरों के लिए जड़ीबूटी व फल मुख्य भोजन भी है। आबादी के पास और सड़कों के किनारे आ रहे बंदर प्राकृतिक भोजन को छोड़कर अब लोगों की ओर से दिए जा रहे कुरकुरे, चिप्स, गुड़, चना, लड्डू, बिस्किट और ब्रेड आदि खा रहे हैं। यहां तक इन बंदरों के पास से गुजरने वाले लोग इनको पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक तक भी दे रहे हैं। खानपान में हुए बदलाव के कारण बंदरों में त्वचा संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं। रानीबाग के वानर बधिया केंद्र में 100 में से 5 बंदरों में संक्रमण की शिकायत भी है।

 

जानकारों की मानें तो कार्बोहाइड्रेड बढ़ने से बंदरों में मधुमेह का स्तर भी बढ़ रहा है और वे खुजली से ग्रसित भी हो रहे हैं। पशु चिकित्सक के मुताबिक इसे नहीं रोका तो बंदरों में डर्मेटाइसिस नामक रोग का भी खतरा हो सकता है। इसके साथ ही उनके व्यवहार में बदलाव के साथ छीनाझपटी की प्रवृति भी बढ़ती है।

 

प्राय: देखने को मिलता है कि सड़कों पर बंदरों के झुंडों को जंक फूड देने से कोई गुरेज भी नहीं करता। इससे बंदर अब जंगल को छोड़कर आबादी में रहना ही पसंद करने लगे हैं। बंदरों को उनके प्राकृतिक भोजन न मिलने व जंक फूड से उनमें स्किन इंफेक्शन भी हो रहा है। वन विभाग की टीम इन बंदरों पर विशेष ध्यान भी रखती है। स्किन इंफेक्शन की बीमारी से बंदरों में डर्मेटाइसिस नामक रोग का खतरा भी बढ़ सकता है। – डॉ. एसबी पांडेय, अपर निदेशक, पशुपालन विभाग

 

लोग बेवजह बंदरों को खाद्य पदार्थ या फिर जंक फूड को खिला रहे हैं। इससे उनकी प्रवृत्ति भी बदल रही है। बंदरों को ऐसे खाद्य पदार्थ खिलाकर पुण्य नहीं, वरन उनके जीवन से भी खिलवाड़ है। इससे बंदर स्किन इंफेक्शन की चपेट में भी आते हैं। वन्यजीवों को इस तरह के खाद्य पदार्थ न खिलाए जाएं ताकि वे जंगल की जड़ीबूटी और पेड़ों के फलों पर ही निर्भर हो सकें। – डॉ. हिमांशु पांगती, वन्यजीव विशेषज्ञ