उत्तराखंड के चार गांवों में अचानक से लॉकडाउन लगा दिया गया, जाने क्या है मामला

रिपोर्टर : शुभम कोठारी 

उत्तराखंड के चार गांवों में अचानक से लॉकडाउन लगा दिया गया है। इन गांवों का कोई भी व्यक्ति न तो गांव की सीमा से बाहर जा सकेगा और न ही बाहर से कोई इन गांवों में प्रवेश भी कर सकेगा। दरअसल, देवभूमि में देवताओं की पूजा करने के लिए भी हर गांव व क्षेत्र के अपने-अपने अनुष्ठान और रिवाज हैं। ऐसा ही एक रिवाज सीमांत जिले चमोली की उर्गम घाटी के 4 गांवों में अच्छी फसल, खुशहाली और सेहत के लिए अनुष्ठान चल रहा है।

प्रत्येक 60 वर्ष में होने वाली यह पूजा चार दिन तक चलेगी। पूजा-अर्चना निर्विघ्न चले, इसलिए गांवों की सीमाओं पर पूजित चावल और अन्य अनाज से मंत्रों के जरिए लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है। जितने दिन तक पूजा-अर्चना होगी, उतने दिन तक इन गांवों का कोई भी व्यक्ति न तो गांव की सीमा से बाहर जा सकेगा और न ही बाहर से कोई इन गांवों में प्रवेश भी कर सकेगा।

उर्गम घाटी के डुंग्री, बरोसी और जोशीमठ क्षेत्र के सलूड़ और डुंग्रा गांव के लोग इन दिनों भूमियाल देवता के मंदिर में भी पूजा अर्चना में मग्न हैं। 10 जनवरी को अपराह्न 2 बजे से गांव के भूमियाल देवता के मंदिर में उबेद (मंत्रों से गांव की घेरबाड़) कार्यक्रम भी शुरू हुआ। पूजा शुरू होने से पहले चारों गांवों की सीमाओं को मंत्रों से बंधन कर दिया गया।

इसके बाद वाहनों की आवाजाही पर आयोजकों ने पूरी तरह से ही पाबंदी भी लगा दी। यह लॉकडाउन 10 जनवरी से लगा था और 13 जनवरी तक रहेगा। इस दिन पूजा-अर्चना संपन्न होने के साथ ही सीमाओं के बंधन भी खोल दिए जाएंगे। तब गांवों में वाहनों की आवाजाही भी हो सकेगी। इसके साथ ही स्थानीय ग्रामीण इधर-उधर भी जा सकेंगे, लेकिन जितने दिन देवता की पूजा के लिए लॉकडाउन रहेगा, उतने दिन सभी ग्रामीण देवता के मंदिर में पूजा-अर्चना में तल्लीन भी रहेंगे।

सलूड़ गांव के पूरण सिंह चौहान ने बताया की गांव में करीब 60 वर्ष बाद यह कार्यक्रम हो रहा है। इसे उबेद उखेल भी कहते हैं। गांव की खुशहाली, अच्छी फसल, दुख, बीमारी दूर करने, पशुओं और मनुष्यों की अच्छी सेहत के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। भूमियाल देवता की पूजा-अर्चना में कोई विघ्न न आए, इसके लिए ही गांवों की सीमाओं का मंत्रों से पूजित चावल व अन्य अनाज से बंधन कर लिया जाता है।

सैंजी गांव के गुड्डू सिंह बिष्ट ने कहा जिले के कई अन्य जगहों पर उबेद कार्यक्रम भी आयोजित होता है। यह गांवों की खुशहाली के लिए भी किया जाता है। इसमें भूमियाल और आराध्य देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है।