आडवाणी के आगमन पर खुली थी बीजेपी की पहली जीत की राह, इस लोकसभा क्षेत्र में एनडी तिवारी का वर्चस्व था

वर्ष 1990-91 के दौर में राम जन्मभूमि का मुद्दा देशभर में जोर-शोर से भी छाया था। वर्ष 1991 के आम चुनाव में नैनीताल-ऊधमसिंह सीट पर चुनावी सभा के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के कदम यहा पड़े और बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को भी मिला। तब हिंदुत्व के फायर ब्रांड रहे आडवाणी ने एनडी तिवारी के पीएम बनने के सपने को भी धाराशायी कर दिया।

 

उत्तराखंड राज्य बनने से पहले उत्तर प्रदेश के समय नैनीताल संयुक्त जिला भी था। इसका क्षेत्र बहेड़ी तक था व बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र बरेली जिले में भी जुड़ा था। तब इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा भी था। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुरेश तिवारी बताते हैं कि तब आडवाणी ने हल्द्वानी की सभा में भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला और कहा था कि जो लोग धर्म निरपेक्षता का आडंबर ओढ़े हैं उसे खत्म ही होना चाहिए।

 

कहा कि वह पूरे विश्वास के साथ कह रहे हैं कि अयोध्या में अब राम मंदिर निर्माण को बनने से कोई भी रोक नहीं सकता। उस समय कुमाऊं में बीजेपी की रैली अब तक की सबसे बड़ी रैली में भी गिनी जाती है। उस समय अप्रत्याशित भीड़ ने बीजेपी प्रत्याशी पासी के पक्ष में माहौल भी बना दिया था। बीजेपी के बलराज पासी ने इस सीट पर पहली जीत 8500 मतों से दर्ज भी की थी।

 

तब देशभर में चर्चा थी कि एनडी तिवारी जीतते तो देश के पीएम बनते। चुनाव हार जाने के बाद एनडी तिवारी ने सार्वजनिक मंचों से कहा था कि उन्हें इस बात का मलाल भी है कि उत्तराखंड से पीएम मिलते-मिलते रह गया। चुनाव हारने के बाद भी एनडी तिवारी के बलराज पासी के साथ मधुर संबंध रहे व चुनाव हारने के बाद उन्हें अपने घर पर भी बुलाया था।