हाईकोर्ट को कुमाऊं से गढ़वाल शिफ्ट किए जाने की कवायद के बीच युवा बोले कुमाऊं में ही रहे हाईकोर्ट, जगह की कमी का हवाला देकर HC को शिफ्ट करना सही नहीं

हाईकोर्ट को कुमाऊं से गढ़वाल शिफ्ट किए जाने की कवायद के बीच युवा, छात्र व लॉ विद्यार्थी भी मुखर हो गए हैं। उनका की कहना है कि हाईकोर्ट कुमाऊं से अन्यत्र शिफ्ट कतई ही नहीं किया जाना चाहिए। अगर नैनीताल से शिफ्ट किया जाना जरूरी ही है तो इसे हल्द्वानी, रामनगर या फिर ऊधमसिंह नगर जिले में कहीं किया जाना चाहिए। कइयों का कहना है कि कुमाऊं से अगर हाईकोर्ट शिफ्ट हुआ तो रोजगार शिफ्ट हो जाएगा, जो कुमाऊं के साथ भी गलत होगा। सभी का मत है कि जगह की कमी के कारण हाईकोर्ट को यहां से गढ़वाल शिफ्ट करना बिलकुल सही नहीं है, जगह तो कुमाऊं में कम नहीं है। नैनीताल में अगर जगह नहीं है तो ऊधमसिंह नगर में ही हाईकोर्ट के लिए पर्याप्त जगह है।

 

हल्द्वानी से रवि बिष्ट ने कहा हाईकोर्ट तो कुमाऊं में ही रहना चाहिए। अगर जनमत संग्रह हो रहा है तो राज्य की राजधानी को लेकर भी इस विषय पर राय भी ली जानी चाहिए। आखिर कुमाऊं के साथ यह अन्याय कब तक ही चलता रहेगा।

 

रामनगर से निमिष अग्रवाल ने कहा उच्च न्यायालय का स्थानांतरण न्यायिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह भी होगा। नैनीताल में हाईकोर्ट के लिए पर्याप्त जगह और व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं, इसका विस्तार किया जा सकता है। अगर शिफ्टिंग पर जनमत हो रहा है तो राजधानी देहरादून के लिए भी होना चाहिए।

 

चंपावत से महाविद्यालय के छात्र संदीप रावत ने कहा जगह की कमी के कारण हाईकोर्ट को ऋषिकेश शिफ्ट करना ठीक नहीं है। कुमाऊं क्षेत्र के अधिकारियों और लोगों की जेब ढीली होगी। आर्थिक भार पड़ने के साथ ही उनका समय बर्बाद होगा। हाईकोर्ट के लिए कुमाऊं क्षेत्र में जगह तलाशनी चाहिए।

 

चंपावत से महाविद्यालय के छात्रा लीलावती भट्ट ने कहा हाईकोर्ट को ऋषिकेश शिफ्ट करने का फैसला भविष्य को ध्यान में रखकर ही लिया जाना चाहिए। चंपावत क्षेत्र के लोगों व अधिकारियों के लिए इतनी दूर आना आसान भी नहीं होगा। इससे दिक्कतों का सामना भी करना पड़ेगा।

 

रिसर्च स्कॉलर, लॉ, गौरव जोशी ने कहा पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए गढ़वाल में राजधानी स्थापित हुई तो कुमाऊं के हिस्से में एकमात्र हाईकोर्ट भी आया है। गढ़वाल में राजधानी, एम्स अस्पताल और उच्च स्तरीय संस्थान समेत सभी विभागों के मुख्यालय हैं।

 

बीए एलएलबी, तृतीय वर्ष के आराध्या मिश्रा ने कहा जन सुविधाओं को देखते हुए हाईकोर्ट को गौलापार में बनाना चाहिए, इससे क्षेत्र का भी विकास होगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के लिए नए विकल्प भी खुलेंगे। बेहतर होगा कि हाईकोर्ट आसपास के ही क्षेत्र में भी रहे।

 

महिला संघ काशीपुर की अध्यक्ष अनिता शर्मा ने कहा हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर नहीं जाना चाहिए। हाईकोर्ट के लिए जनमत संग्रह की बात भी उठी है तो राजधानी के लिए जनमत होना कोई गलत भी नहीं है। जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय भी लेना चाहिए।

 

बाजपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा हाईकोर्ट की बेंच खोलना उचित नहीं है। हाईकोर्ट कुमाऊं में ही रहना चाहिए और यदि हाईकोर्ट शिफ्ट करना आवश्यक है तो इसे रुद्रपुर में किया जाना चाहिए जहां भूमि पर्याप्त भी उपलब्ध है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और रोडवेज सहित अन्य सुविधाएं है।

 

एलएलबी छठवां सेमेस्टर रुद्रपुर के अरुण कोली ने कहा हाईकोर्ट को नैनीताल से स्थानांतरित करना पर्यटकों व कानून सहयोगियों दोनों के लिए एक बुनियादी जरूरत बन गई है। क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा है व सुविधाएं कम। जब हाईकोर्ट के लिए जनमत संग्रह कराया जा रहा है तो इसी तरह राजधानी के लिए कराया जाना भी चाहिए।

 

पिथौरागढ़ से लॉ स्टूडेंट डीडीहाट के अजय अवस्थी ने कहा उत्तराखंड गठन के समय से ही हाईकोर्ट कुमाऊं में है। यदि कोर्ट को नैनीताल से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है तो इसे कुमाऊं में ही सुविधायुक्त स्थान पर ही शिफ्ट किया जाना चाहिए। कुमाऊं से बाहर हाईकोर्ट शिफ्ट ही नहीं होना चाहिए।

 

पिथौरागढ़ से शोध छात्र किशोर कुमार जोशी ने कहा कुमाऊं के सुदूर अंचलों ने वैसे ही शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन की अनदेखी झेली है। ऊपर से हाईकोर्ट को शिफ्ट किया जाना कुमाऊं के लिए एक और झटका भी होगा। हाईकोर्ट यहां से अन्यत्र शिफ्ट ही नहीं किया जाना चाहिए।

 

रुद्रपुर से विधि छात्रा चंद्रकला रॉय ने कहा हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाना चाहिए। हल्द्वानी में चिह्नित जमीन में कोई भी दिक्कत है तो यूएस नगर इसके लिए सर्वोत्तम विकल्प भी है। यहां जमीन की कोई कमी नहीं है, साथ ही किसी किस्म की कोई भी दिक्कत नहीं है।

 

किच्छा, जवाहर नगर से विधि छात्रा सुषमना पांडे ने कहा हाईकोर्ट शिफ्टिंग के लिए यूएस नगर जिला सर्वसुलभ है। रुद्रपुर, किच्छा सहित अन्य जगहों पर जमीन भी खाली हैं। यहां कोर्ट स्थापित भी हो सकता है। इसके अलावा सड़क, रेल व हवाई कनेक्टिविटी अन्य जगहों की तुलना बेहतर है।

 

अल्मोड़ा से एलएलबी, छठा सेमेस्टर चैतन्या साह ने कहा हाईकोर्ट को गढ़वाल शिफ्ट करना गलत है। जब कुमाऊं के लोग राजधानी देहरादून पहुंच सकते हैं तो दोनों मंडलों के बीच नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचना भी तो आसान है। हाईकोर्ट शिफ्ट हुआ कई तरह की दिक्कत भी झेलनी पड़ेगी।

 

अल्मोड़ा से एलएलबी, चतुर्थ सेमेस्टर के पंकज कार्की ने कहा हाईकोर्ट को कुमाऊं से शिफ्ट करना अव्यावहारिक व यहां लोगों की अनदेखी है। यह सोचनीय विषय है कि कुमाऊं के संस्थानों को गढ़वाल शिफ्ट क्यों ही किया जा रहा है और यहां के जनप्रतिनिधि भी क्यों चुप हैं। विधि का ही नहीं हर छात्र नैनीताल से हाईकोर्ट को स्थानांतरित करने का विरोध भी करेगा।

 

बागेश्वर के डीएलएड प्रशिक्षु रीतिका मेहता ने कहा हाईकोर्ट के कुमाऊं में होने से न केवल न्याय वरन विकास, रोजगार व आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में मदद मिली है। हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट करना ही पड़े तो भी कुमाऊं मंडल में किसी अन्य स्थान पर ही शिफ्ट करना चाहिए।