लगातार बढ़ रही ऊर्जा जरूरतों के बीच अब उत्तराखंड सरकार 1,320 मेगावाट का पिटहेड थर्मल पावर प्लांट लगाने की तैयारी में, कोयले से बिजली के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय को भेजा पत्र
लगातार बढ़ रही ऊर्जा जरूरतों के बीच अब उत्तराखंड सरकार 1,320 मेगावाट का पिटहेड थर्मल पावर प्लांट लगाने की तैयारी में भी है। इसके लिए सरकार ने केंद्र को पत्र भी भेजा था। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने पत्र कोयला मंत्रालय को भेज भी दिया है। जहां भी कोयले की खदान मिलेगी, वहीं सरकार थर्मल प्लांट भी लगाएगी। इससे बिजली किल्लत काफी हद तक कम भी हो जाएगी।
उत्तराखंड ने बिजली की मांग के सापेक्ष उत्पादन काफी कम होने के चलते कोयले से बिजली बनाने की दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं। इसके लिए टीएचडीसी-यूजेवीएनएल का संयुक्त उपक्रम भी बनाया गया। उपक्रम ने कोयले से बिजली उत्पादन करने के लिए केंद्र सरकार से कोयला उपलब्धता को लेकर प्रस्ताव भी भेजा था। ऊर्जा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को कोयला मंत्रालय के पास भी भेज दिया है ताकि उसी हिसाब से कोयले की उपलब्धता भी हो सके।
यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल का कहना है कि जहां भी कोयला मिलेगा, वहीं पिटहेड थर्मल पावर प्लांट भी बनाया जाएगा। इससे कोयले की सप्लाई पर होने वाले खर्च से बचा भी जा सकेगा। उन्होंने बताया कि कोल ब्लॉक मिलने के बाद 4 से 5 वर्ष में प्लांट तैयार हो जाएगा। जिसके बाद 1,320 मेगावाट बिजली उपलब्धता भी बढ़ जाएगी।
राज्य में जो जल विद्युत परियोजनाएं हैं, उनका उत्पादन सीजन के हिसाब से प्रभावित भी होता है। पहाड़ों में बर्फबारी होने के बाद नदियों में पानी का स्तर गिरने से उत्पादन भी घट जाता है। बरसात में नदियों में सिल्ट आने की वजह से उत्पादन भी घट जाता है। इसी प्रकार, सौर ऊर्जा केवल दिनभर में ही उपलब्ध होती है। ऐसे में थर्मल पावर का विकल्प सरकार को मजबूत भी लग रहा है।