राजभवन ऑडिटोरियम में भगवान महावीर के 2550 निर्वाण वर्ष और अहिंसा विश्व भारती संस्था के स्थापना दिवस पर ‘भारतीय संस्कृति और महावीर दर्शन में वैश्विक समस्याओं का समाधान’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया
आज मंगलवार को राजभवन ऑडिटोरियम में भगवान महावीर के 2550 निर्वाण वर्ष और अहिंसा विश्व भारती संस्था के स्थापना दिवस पर ‘भारतीय संस्कृति और महावीर दर्शन में वैश्विक समस्याओं का समाधान’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने किया। कार्यक्रम में उन्होंने विश्व शांति केंद्र की परिचय पुस्तिका का लोकार्पण भी किया।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि भगवान महावीर की शिक्षाएं तत्कालीन समय में जितनी उपयोगी थी, उससे अधिक मौजूदा समय में प्रासंगिक हैं। उनके अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह दर्शन में अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दुनिया में युद्ध और हिंसा, ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण प्रदूषण, बीमारियों और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे समय में जब विश्व के समक्ष बहुत सी चुनौतियां मौजूद हैं और हम उनके समाधान के उपाय ढूंढ रहे हैं। भारतीय संस्कृति और भगवान महावीर के दर्शन में इन सभी समस्याओं का समाधान निहित है।
राज्यपाल ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलते हुए आचार्य लोकेश जी पूरी दुनिया में उनकी शिक्षाओं और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयत्न कर रहे हैं। इसी क्रम में इस वर्ष कनाडा और ब्रिटेन की पार्लियामेंट और कैलिफोर्निया की असेंबली में आचार्य लोकेश की उपस्थिति में भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण वर्ष के कार्यक्रम आयोजित हुए।
जैन आचार्य लोकेश जी ने कहा कि आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने षट्जीविकाय का सिद्धान्त दिया जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण असंतुलन की समस्याओं का समाधान कर सकता है, पीस एजुकेशन जैसे कार्यक्रमों से हिंसा के मूल कारण को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत का पहला विश्व शांति केंद्र भगवान महावीर के सिद्धांतों पर आधारित होगा।
पतंजलि के आचार्य बाल कृष्ण जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ एवं ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतुः निरामया’ का संदेश पूरी दुनिया को दिया। किसी के लिए कोई देश एक बाजार हो सकता है पर भारत के लिए विश्व एक परिवार है। बौद्ध भिक्षु दीपांकर सुमेधों ने कहा कि अहिंसा, दया, करुणा, मानवता, के मूल्यों को अपनाने की, उनको अपने जीवन में उतारने की और क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। महावीर की शिक्षाओं से ही विश्व में शांति सद्भावना संभव है।