भीषण गर्मी में लोग राहत की तलाश में पहाड़ों की रानी मसूरी पहुंचते हैं, अब मसूरी में हो रहा है मैदानी इलाकों जैसा अहसास, गर्मी से सैलानी भी हैरान… शहरवासी परेशान
भीषण गर्मी में लोग राहत की तलाश में पहाड़ों की रानी मसूरी पहुंचते हैं। परंतु अब वहां पर भी गर्मी सताने लगी है। मैदानी क्षेत्रों की तरह गर्मी का अहसास भी हो रहा है। शहर में कई वर्षों के बाद तापमान बढ़कर 30 डिग्री तक भी पहुंच गया है। तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि से शहरवासी भी चिंतित है। शहर में पहुंचे पर्यटक भी गर्मी के कारण दिन में ठीक से घूम ही नहीं पा रहे हैं।
शहर में पिछले कई वर्षों बाद तापमान 30 डिग्री तक ही पहुंच गया है। मसूरी के मौसम के लिहाज से 30 डिग्री तापमान बहुत अधिक ही माना जाता है। स्थानीय लोगो का कहना है कि मसूरी में लगातार हो रहे निर्माण कार्य, वन क्षेत्रों का सिकुड़ना, आबादी का तेजी से बढ़ना, कम संख्या में पौधरोपण व ग्लोबल वार्मिंग आदि लगातार बढ़ रहे तापमान का प्रमुख कारण भी है।
वरिष्ठ नागरिकों की ये है राय…
वरिष्ठ नागरिक, रामकुमार गोयल (77 वर्ष) ने कहा मसूरी में इतनी गर्मी पिछले 10 वर्षो में कभी नही पड़ी है। कभी गर्मी पड़ी भी तो उसके एक से दो दिन में बारिश भी हो जाती थी लेकिन अब तो मैदानी क्षेत्रों की तरह मसूरी में गर्मी का अहसास भी होने लगा है। शहर में अब तो सुबह से ही गर्मी भी पड़ रही है जो पहले कभी नहीं होता था।
एनके सहनी (75 वर्ष) ने कहा मसूरी में कई दिनों से लगातार गर्मी पड़ रही लेकिन बारिश भी नही हो रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पेड़ों की अवैध कटान भी है। बांज, देवदार और बुरांश के पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है। मसूरी कंक्रीट के शहर में तब्दील भी हो रहा है। मालरोड में पहले बड़ी संख्या में पेड़ होते थे, अब बहुत ही कम देखने को मिल रहे। यह मसूरी के हित में ही नहीं है।
मालरोड से विजय वाही (68 वर्ष) ने कहा मसूरी में आज की तरह कभी गर्मी पड़ी ही नहीं। गर्मी के पीछे सबसे बड़ा कारण पेड़ों का कटान ही है। लगातार निर्माण कार्य भी हो रहे हैं। बड़े पेड़ भी कट रहे हैं लेकिन छोटे पौधे भी कम लग रहे। छोटा पौधा कब बड़ा होगा उसकी भी कोई गारंटी नहीं है। मालरोड में मैदानी क्षेत्रों की तरह गर्मी का अहसास भी हो रहा जो चिंताजनक है।
लगातार वृक्षों का दोहन व अनियोजित निर्माण का मौसम पर असर : पर्यावरणविद
मसूरी के वरिष्ठ पर्यावरणविद विपिन कुमार ने कहा कि मसूरी में लगातार वृक्षों का दोहन व अनियोजित तरीके से निर्माण कार्य का असर मसूरी के मौसम पर ही पड़ रहा है। जिस गति से निर्माण कार्य हो रहे, वन क्षेत्र कम हो रहे, वाहनों की संख्या बढ़ रही, उसका असर शहर के तापमान पर भी पड़ रहा है। जिस गति से बांज के पेड़ों का पातन हो रहा उससे तो ऐसा लगता है कि आने वाले समय में मसूरी बंजर ही हो जाएगी व सिर्फ नाम का हिल स्टेशन रह जाएगा। ईको टास्क फोर्स की ओर से ज्यादातर पेड़ साइप्रस के लगाए गए थे जबकि चौड़ी पत्ते के पौधे को लगने चाहिए थे।
चौड़ी पत्ते के पौधे लगते तो धरती का तापमान नियंत्रित रहता। धरती का तापमान रोकने के लिए पहाड़ों में बांज का पेड़ सबसे कारगर है लेकिन अब बांज के पेड़ों पर ही संकट खड़ा हो गया है। बाहर से मसूरी में बिल्डर भी आ रहे हैं। उनको मसूरी के हरियाली से कोई मतलब ही नहीं है। उनको होटल खड़ा करना है व धन कमाना है। मसूरी को बचाने के लिए अगर कोई ठोस प्लान नहीं बनाया गया तो मसूरी के मौसम पर तो असर पड़ेगा ही पर्यटन खत्म ही हो जाएगा।