बिना बीमा मत चलाना गाड़ी, न्यायालय से छूटना भी हो जाएगा मुश्किल, वाहन भी हो सकता है नीलाम

हल्द्वानी। अगर गाड़ी का बीमा नहीं है तो उसे मत चलाना। सड़क दुर्घटना की स्थिति में वाहन न्यायालय से रिलीज होना भी मुश्किल ही होगा। वाहन छुड़ाने से पहले पीड़ित व्यक्ति को प्रतिकर के तौर पर दी जाने वाली राशि का पैसा भी एडवांस में जमा करना होगा। प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के आदेश को चुनौती देती याचिका पर न्यायालय प्रथम अपर सत्र कंवर अमनिन्दर सिंह की अदालत ने फैसला सुनाते हुए पूर्व में रिलीज किए वाहन को दोबारा जब्त करने के आदेश भी जारी किए हैं।

 

ग्राम हरसान बाज पुर निवासी सोबन सिंह कुंवर का बेटा 29 जनवरी 2023 को सड़क हादसे में घायल भी हो गया था। मामले में पीड़ित ने कालाढूंगी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए बताया भी था कि हादसे के दौरान ट्रैक्टर-ट्राली का बीमा नहीं था। इसके अलावा पंजीकरण वैध नहीं था। दूसरी तरफ प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट ने वाहनस्वामी के प्रार्थनापत्र पर गाड़ी रिलीज का आदेश भी कर दिए। जिस पर वादी ने पुन: सुनवाई के लिए प्रार्थनापत्र दाखिल किया, लेकिन वह भी खारिज हो गया।

 

इस निर्णय को न्यायालय प्रथम अपर सत्र की अदालत में भी चुनौती देते हुए सोबन के अधिवक्ता पंकज कुलौरा ने कहा कि उत्तराखंड मोटर वाहन नियमावली 2011 में 2016 में हुए चौथे संशोधन के बाद नियम 2005 बी-2, 3 व 4 के तहत वाहन को तब तक रिलीज नहीं कर सकते, जब तक वाहन स्वामी हादसे के पीड़ित को दी जाने वाली प्रतिकर राशि के बराबर पैसा को जमा कर दे।

 

धनराशि जमा न करने पर वाहन को नीलाम कर मिली राशि को क्लेम याचिका के निस्तारण तक सुरक्षित भी रखा जाएगा। न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय को बतौर उदाहरण भी रखा गया। जिसके बाद न्यायालय प्रथम अपर सत्र कंवर अमनिन्दर सिंह की अदालत ने आदेश भी जारी करते हुए वाहनस्वामी धर्म सिंह को 10 दिन के अंदर ट्रैक्टर ट्राली कालाढूंगी थाने में दाखिल करने को भी कहा। एसओ कालाढूंगी को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं।

 

सरकारी वाहनों की बात करें तो रोडवेज बसों का बीमा नहीं होता। एआरएम सुरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हादसे की स्थिति में न्यायालय के आदेशानुसार मुआवजा राशि परिवहन निगम के माध्यम से भी मिलती है। वहीं, आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी का कहना है कि एमवी एक्ट में सरकारी वाहनों के लिए यह नियम है।