बजट का जो अनुमान लगाती है सरकार, वास्तविकता में वह उतना खर्च ही नहीं कर पाती, रिपोर्ट में खुलासा हुआ

प्रदेश सरकार बजट का जो अनुमान लगाती है, वास्तविकता में वह उतना खर्च ही नहीं कर पाती। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक 2022-2023 के वित्त लेखा व वार्षिक वित्तीय लेखा विवरण इस बात की तस्दीक भी करते हैं।

 

इनके मुताबिक, पिछले 5 वर्ष के दौरान बजट अनुमान व वास्तविक खर्च में 14 प्रतिशत से 19 प्रतिशत तक का अंतर भी रहा है। यानी सरकारों ने अनुमान से कम बजट ही खर्च किया। सदन में पेश हुए कैग के विनियोग लेखा के आधार पर तैयार रिपोर्ट में सरकार के बजट प्रबंधन का जिक्र भी किया गया है।

 

मिसाल के तौर पर 2022-2023 में सरकार 51,290 का बजट अनुमान था, लेकिन महालेखाकार को खर्च का वास्तविक आंकड़ा 43,773 करोड़ रूपये का उपलब्ध कराया। इस तरह सरकार ने अनुमान से 7517 करोड़ रुपये कम ही खर्च किए।

वर्ष बजट अनुमान वास्तविक आंकड़े अंतर प्रतिशत
2018-2019 37,334,40 32,196 14
2019-2020 539 32,859 19
2020-2021 44,461 37,091 17
2021-2022 48,193 38,929 19
2022-2023 51,290 43,773 15

 

रिपोर्ट बताती है कि सरकार का प्रतिबद्ध खर्च जिसमें वेतन, पेंशन, सब्सिडी और ब्याज भुगतान भी शामिल है, बढ़ा है। 2018-2019 से 2022-2023 के मध्य सरकार ने प्रतिबद्ध खर्च में 21 प्रतिशत की वृद्धि की। जबकि राजस्व खर्च में इसी अवधि के दौरान 36 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई। इससे सरकार को विकास कार्यों के लिए धन की कमी भी रही। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-2019 में सरकार का प्रतिबद्ध खर्च 21,570 करोड़ था, जो 2022-2023 में बढ़कर 26,089 करोड़ हो गया। पिछले 5 वर्ष में वेतन पर सालाना खर्च 11,525 करोड़ से बढ़कर 2022-2023 में 13,515 करोड़ तक पहुंच गया तो पेंशन का आंकड़ा में 5 वर्ष में 5396 करोड़ से 7181 करोड़ तक पहुंच गया। ठीक ऐसी वृद्धि सब्सिडी व ब्याज भुगतान में भी दिखाई दी है।

 

पिछले 2 साल के दौरान संबंधित विभाग 864.32 करोड़ रुपये की उपयोगिता प्रमाण पत्र निर्धारित अवधि में उपलब्ध ही करा पाए। रिपोर्ट में कैग ने इसका प्रमुखता से जिक्र भी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 तक 20.29 करोड़ के 1 और 2022-2023 में 844.03 करोड़ के 267 उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार भी प्रस्तुत नहीं किए। 31 मार्च 2022 तक 1390.08 करोड़ के 321 उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया भी थे।