प्रदेश में मदरसों की मैपिंग न होने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समन जारी कर, देहरादून समेत 5 जिलों के जिलाधिकारियों को किया तलब

प्रदेश में मदरसों की मैपिंग न होने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समन जारी कर बीते शुक्रवार को देहरादून समेत 5 जिलों के जिलाधिकारियों को तलब भी किया था। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के प्रतिनिधि आयोग में पेश भी हुए। 10 जून को अन्य जिलों के जिला अधिकारियों को आयोग में पेश भी होना है।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पिछले माह देहरादून के कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण भी किया था। निरीक्षण में उन्होंने पाया कि बिहार व उत्तर प्रदेश से बच्चों को यहां लाकर मदरसों में पढ़ाया भी जा रहा है। आयोग ने निरीक्षण के बाद विभाग के अधिकारियों की बैठक भी ली थी।

 

बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने आयोग को बताया कि बार-बार पत्राचार के बाद जिलाधिकारी मदरसों की मैपिंग की प्रक्रिया संबंधी कार्रवाई भी नहीं कर रहे। इस पर आयोग ने उत्तराखंड के सभी जिलों के जिलाधिकारियों को समन जारी करते हुए कुछ को 7 जून व अन्य को 10 जून को आयोग में तलब भी किया था।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक बीते शुक्रवार को देहरादून, पौड़ी, चमोली, हरिद्वार व उत्तरकाशी जिले के जिलाधिकारियों के प्रतिनिधि आयोग में पेश भी हुए। जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के तौर पर आयोग में पेश हुए इन अधिकारियों ने मदरसों से संबंधित अपनी रिपोर्ट आयोग को भी सौंपी है। 10 जून को अन्य जिलों के जिलाधिकारियों को आयोग में पेश भी होना है। इन अधिकारियों के आयोग में पेश होने के बाद मदरसों के मसले पर आयोग की ओर से निर्णय भी लिया जाएगा।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के जिलाधिकारियों को समन भी जारी किया हुआ है। सीपीआरसी अधिनियम 2005 की धारा 14 (1) के तहत जारी समन में कहा गया है कि गैर मुस्लिम बच्चों को दाखिला देने वाले सभी सरकारी वित्तपोषित मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी की जाए। जांच में ऐसे मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का भौतिक सत्यापन होना चाहिए। जांच के बाद ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए विद्यालयों में दाखिला भी दिलाएं। आयोग का कहना है कि इस संबंध में पूर्व में रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन रिपोर्ट ही नहीं मिली।