प्रदेश में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए 18 नए हेलीपैड अब बनने जा रहे हैं।

प्रदेश में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए 18 नए हेलीपैड अब बनने जा रहे हैं। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने नई हेलीपैड नीति के तहत इन सभी स्थानों पर हेलीपैड बनाने के लिए प्रस्ताव भी मांगे हैं। इसके लिए शर्त ये है कि हेलीपैड की जमीन कम से कम 1000 वर्ग मीटर ही होनी चाहिए।

यूकाडा की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, उत्तराखंड प्राइवेट हेलीपैड एंड हेलिपोर्ट पॉलिसी 2023 के तहत निजी भूमि पर अब हेलीपैड भी बनाए जा सकते हैं। हेलीपैड के लिए कम से कम 1000 वर्ग मीटर भूमि भी होनी चाहिए, जिसकी लंबाई और चौड़ाई कम से कम 30-30 मीटर तक हो। हेलिपोर्ट के लिए कम से कम 10 हजार वर्ग मीटर भूमि होनी चाहिए, जिसकी लंबाई और चौड़ाई न्यूनतम 50-50 मीटर भी हो।

आवेदन करने वाले व्यक्ति को उस भूमि के स्वामित्व होने का प्रमाण देना होगा। इन 18 स्थानों को हवाई सेवाओं से जोड़ने के बाद जहां प्रसिद्ध मंदिरों तक पहुंचने की राह आसान होगी, वहीं पर्यटन के नजरिए से आसानी भी हो जाएगी।

इन जगह बनेंगे हेलीपैड

रुद्रप्रयाग : तुंगनाथ मंदिर के लिए मक्कू मठ के 1 किमी दायरे में I

श्रीमदमहेश्वर मंदिर के लिए मंदिर या रान्सी गांव के 1 किमी दायरे में I

त्रियुगीनारायण मंदिर के लिए 5 किमी दायरे में I

ऊखीमठ के लिए 3 किमी दायरे में।

 

नैनीताल : नैनीताल शहर के निकट, कैंचीधाम के लिए करीब 10 किमी दायरे में।

 

देहरादून : मसूरी के लिए 5 किमी दायरे में।

 

बागेश्वर : कौसानी के लिए करीब 10 किमी दायरे में।

 

चंपावत : माता पूर्णागिरी मंदिर के लिए टनकपुर की ओर करीब 12 किमी दायरे में I

गुरुद्वारा रीठा साहिब के लिए करीब 10 किमी दायरे में।

 

ऊधमसिंह नगर : गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के लिए करीब 10 किमी दायरे में।

 

उत्तरकाशी : यमुनोत्री धाम के आसपास के क्षेत्र में,

मुखबा मंदिर के लिए 2 किमी के दायरे में।

 

पौड़ी गढ़वाल : लैंसडौन के लिए करीब 10 किमी के दायरे में।

 

चमोली : आदि बदरी मंदिर के लिए करीब 10 किमी के दायरे में I

वृद्ध बदरी मंदिर के लिए जोशीमठ से वृद्ध बदरी के बीच करीब 10 किमी के दायरे में I

योगध्यान बदरी मंदिर के लिए 2 किमी के दायरे में I

भविष्य बदरी मंदिर के लिए 5 किमी के दायरे में।

हेलिपैड और हेलीपोर्ट के लिए जमीन देने के लिए भू-स्वामी को 2 विकल्प भी दिए गए हैं।

पहला भूस्वामी जमीन को 15 वर्ष के लिए यूकाडा को लीज पर दे सकता है, जिसमें यूकाडा डीजीसीए नियमों के तहत हेलीपैड को विकसित भी करेगा। इसके लिए बदले भू-स्वामी को प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया भी दिया जाएगा। इसके अलावा संचालन और प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान भी किया जाएगा।

दूसरा विकल्प भू-स्वामी स्वयं भी हेलीपैड और हेलीपोर्ट को विकसित कर सकता है। इसके लिए डीजीसीए से लाइसेंस लेकर हेलीपैड का इस्तेमाल करने वालों से शुल्क भी लेगा। सरकार की ओर से कुल पूंजीगत व्यय पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाएगी।

 

हेलीपैड के लिए कम से कम 1,000 वर्गमीटर और हेलीपोर्ट के लिए कम से कम 4,000 वर्गमीटर जमीन अनिवार्य है। हेलीपैड बनाने के लिए 10 लाख से 20 लाख रुपये तक खर्च और हेलीपोर्ट निर्माण में 2 करोड़ से 3 करोड़ रुपये तक का खर्च का अनुमान है। यदि भूस्वामी स्वयं हेलीपैड और हेलीपोर्ट बनाता है तो इस पर सरकार सब्सिडी भी देगी, जिसका भुगतान 2 किस्तों में किया जाएगा।