पहाड़-मैदान के बीच 5 लोकसभा सीटों पर बसपा एक बार फिर चुनावी दंगल में दम दिखाने की तैयारी में I

पहाड़-मैदान के बीच 5 लोकसभा सीटों पर बसपा एक बार फिर चुनावी दंगल में दम दिखाने की तैयारी में लगी है। इस सप्ताह पांचों सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित हो सकते हैं। बसपा सुप्रीमो खुद हर प्रत्याशी की कुंडली को देख रही है। उसमें जीत की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। खास बात ये है कि आज तक बसपा राज्य गठन के बाद किसी भी चुनाव में अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई है।

 

राज्य गठन के बाद साल 2004 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें बसपा ने 3 सीटों पर प्रत्याशी भी उतारे थे। तीनों पर बसपा हारी भी थी। एक ही प्रत्याशी जमानत बचाने में कामयाब भी रहा था। बसपा को इस चुनाव में कुल मतदान के 6.77 प्रतिशत वोट भी मिले थे। इस बीच, विधानसभा चुनावों में बसपा ने दम दिखाया तो लोकसभा में इसका असर भी नजर आया।

 

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने कुल मतों के मुकाबले 15.4 प्रतिशत मत भी हासिल किए। इसके बाद हाथी की चाल मंद भी हो गई। कदम डगमगाने भी लगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को प्रदेशभर में 4.78 प्रतिशत वोट भी मिले। साल 2019 के चुनाव में बसपा ने सपा से गठबंधन कर 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बावजूद इसके बसपा को सिर्फ 4.5 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए। अब आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में बसपा ने ताकत भी झोंक दी है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल का कहना है कि उनकी पार्टी के प्रत्याशी इस बार जीत का नया इतिहास भी रचने जा रहे हैं।

 

साल 2002 के विस चुनाव में बसपा को प्रदेश में 10.93 प्रतिशत वोट भी मिले थे। साल 2007 के चुनाव में यह आंकड़ा 11.76 प्रतिशत पर भी पहुंच गया। साल 2012 के चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़कर 12.99 प्रतिशत तक पर पहुंचा। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को काफी नुकसान भी हुआ व वोट प्रतिशत 6.98 प्रतिशत पर भी चला गया। साल 2022 के विस चुनाव में 4.83 प्रतिशत के आसपास ही पहुंच गया है।

 

हाथी की चाल शुरू में भले बदली हो लेकिन अब 4 से 5 प्रतिशत वोट शेयर से ये स्पष्ट हो रहा है कि बसपा का दलित-मुस्लिम फार्मूला अपेक्षाकृत मंजिल तक नहीं पहुंचा पाया है।