परेड ग्राउंड और घंटाघर के आसपास अब बगैर जीपीएस लगे सार्वजनिक वाहन नहीं चल सकेंगे।

परेड ग्राउंड और घंटाघर के आसपास अब बगैर जीपीएस लगे सार्वजनिक वाहन नहीं चल सकेंगे। संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में पेश हुए प्रस्ताव पर अंतिम मुहर अब लग गई है। महानगर के 6 रूटों पर चलने वाले सार्वजनिक वाहन जो कि घंटाघर और परेड ग्राउंड से होकर गुजरते थे, उन पर यह आदेश पूरी तरह से प्रभावी होगा। हालांकि 15 फरवरी तक जीपीएस लगवाने के लिए छूट भी दी गई है।

इसके बाद आदेश भी सख्ती से लागू होंगे। जीपीएस लगे वाहनों पर परिवहन विभाग पूरी तरह से नियंत्रण रखेगा। ट्रैफिक की जरूरत के मुताबिक सार्वजनिक वाहनों का संचालन में भी नियंत्रित किया जाएगा। आरटीए की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया गया था कि परेड ग्राउंड और घंटाघर के आसपास क्षेत्र में सिर्फ जीपीएस लगे सार्वजनिक वाहन ही संचालित किए जाएं। लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। तब मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद अंतिम मुहर लगाने के आदेश भी दिए थे।

इस पर आटो-विक्रम यूनियनों के साथ वार्ता की गई और अंतिम निर्णय भी ले लिया गया। यह तय किया गया कि देहरादून शहर के घंटाघर और परेड ग्राउंड क्षेत्र में केवल उन्हीं सार्वजनिक वाहनों को संचालन की अनुमति दी जाएगी, जिनमें जीपीएस ही लगा होगा। इन वाहनों की निगरानी डीआईसीसी के माध्यम से की जाएगी। जीपीएस के बिना सार्वजनिक वाहनों का संचालन करने पर वाहन का परमिट भी निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

जीपीएस लगे वाहनों को संचालित करने का उद्देश्य सार्वजनिक वाहनों के संचालन पर नजर ही रखना है। आरटीओ सुनील शर्मा ने बताया कि यह देखा जाएगा कि सार्वजनिक वाहन रूटों का पालन भी कर रहे हैं या नहीं। किसी एक ही स्थान पर नियमविरुद्ध तरीके से सार्वजनिक वाहनों को खड़ा तो नहीं किया जा रहा है। किस रूट पर कितने सार्वजनिक वाहन चल रहे हैं। अगर कोई वाहन काफी देर से एक ही स्थान पर खड़ा है तो उसे भी कंट्रोल रूम से नियंत्रित भी किया जाएगा। इमरजेंसी में ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए यह व्यवस्था भी कारगर रहेगी। जीपीएस लगे वाहनों से यह पता चल सकेगा कि किस रूट पर कितने वाहन चल रहे हैं, ग्रीन कॉरिडेार बनाने की नौबत आने पर सभी को एक साथ संदेश भेजकर व्यवस्था भी बनाई जा सकेगी।

सामान्य परिस्थितियों में परमिट शर्तों, पार्किंग, स्टापेज और ट्रैफिक संबंधी नियमों का पालन कराने में  जीपीएस कारगर रहेगा। यातायात के नियम तोड़ते ही जीपीएस से कंट्रोल रूम संबंधित वाहन को चिह्नित भी कर लेगा। इसके आधार पर कंट्रोल रूम से पहले चेतावनी भी दी जाएगी। बार-बार नियम तोड़ने पर वाहन संचालक को परमिट जब्त करने के लिए भी नोटिस भेजा जाएगा। तीन बार व्यवस्था का उल्लंघन करने पर परमिट को निरस्त भी कर दिया जाएगा।

आरटीओ प्रशासन, सुनील शर्मा ने कहा की जो सार्वजनिक वाहन शहर के घंटाघर और परेड ग्राउंड क्षेत्र में संचालित होते हैं, वह 15 फरवरी तक अपने वाहनों में जीपीएस लगवा लें, अन्यथा इन क्षेत्रों में सार्वजनिक वाहनों का संचालन बगैर जीपीएस के नहीं किया जा सकेगा।