नई व्यवस्था से बैंकों को झटका, केंद्र पोषित योजनाओं का पैसा अब नहीं हो सकेगा जमा
केंद्र पोषित योजनाओं (सीएसएस) की करोड़ों की राशि के भुगतान की प्रक्रिया ही बदल चुकी है। नई व्यवस्था से उन बैंकों को झटका लगेगा, जिन्हें सीएसएस के तहत जारी होने वाले सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार भी मिलता है। केंद्र सरकार ने एसएनए स्पर्श मॉडल पर काम करने के लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इसकी पुष्टि भी की है। केंद्र ने अपनी योजनाओं के तहत जारी होने वाली धनराशि के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह योजना भी लागू की है। एसएनए स्पर्श मॉडल के तहत अब राज्य सरकार को स्वीकृत केंद्र पोषित योजनाओं की धनराशि सीधे ही प्राप्त नहीं होगी।
नए मॉडल में राज्य सरकार को अपने एकीकृत वित्त प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) व केंद्र सरकार के लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से बिल भी पेश करने होंगे। राज्य जब योजना में अपनी हिस्सेदारी की धनराशि जमा करेगा तो केंद्र उसे शामिल करते हुए बिल का भुगतान भी कर देगा। पहले चरण में केंद्र ने 27 केंद्र पोषित योजनाओं की सूची राज्य सरकार को भी भेज दी है। अगले चरणों में धीरे-धीरे सभी 110 योजनाएं नए मॉडल के दायरे में भी आ जाएंगी।
केंद्र पोषित योजनाओं की स्वीकृत योजनाओं की धनराशि राज्य सरकार की ट्रेजरी में ही भेजता था। ट्रेजरी से योजना से संबंधित विभाग को यह धनराशि आवंटित भी होती थी। विभाग योजनाओं पर काम शुरू कराने से पहले इस धनराशि को बैंकों में जमा भी करते थे। इससे बैंकों को करोड़ों का कारोबार भी मिलता था, लेकिन केंद्र को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं कि विभाग योजनाओं की धनराशि का समय पर उपयोग करने के बजाय उसे बैंकों में ही पार्क कर दिया गया। इससे विकास की धनराशि भी ठहर गई। अभी तक व्यवस्था में ठेकेदार भुगतान के लिए बिल विभाग को प्रस्तुत भी करते थे। विभाग बैंक के माध्यम से ही भुगतान कर देते थे, लेकिन अब बैंकों की भूमिका ही खत्म हो गई है।
राज्यों के धनराशि के प्रवाह पर चौकस निगरानी रखने के लिए शुरू की गई इस योजना का मुख्य ध्येय धनराशि का सही उपयोग करना व दुरुपयोग रोकना है। इस नई व्यवस्था में केंद्र सरकार के विभागों की भूमिका महत्वपूर्ण भी हो गई है। यानी वे जांच परख सकेंगे कि जिस उद्देश्य के लिए धनराशि का भुगतान भी हो रहा है, वह उसी पर खर्च भी हो रही है। इसके लिए केंद्र सरकार के मंत्रालय या विभाग को रिजर्व बैंक में एक विशेष खाता (एसएनए) भी खोलना है। राज्य सरकार राज्य के लिए घोषित हर विशेष कार्यक्रम के लिए एक नोडल एजेंसी का गठन भी करेगी। उसे भी आरबीआई में अपनी विशेष स्कीम के लिए एसएनए भी खोलना होगा। खाते में केंद्र और राज्य अपने-अपने हिस्से की धनराशि जमा करेंगे। धनराशि का जो हिस्सा उपयोग में नहीं लाया जाएगा, उसे केंद्र को ही लौटाने की व्यवस्था भी होगी।
केंद्र पोषित योजनाओं के तहत जो दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं, हमने उन पर काम करना भी शुरू कर दिया है। आईएफएमएस के साफ्टवेयर में नए बदलाव भी किए जा रहे हैं। अभी तक योजनाओं के बिलों के भुगतान की जो प्रक्रिया थी, अब उसके ठीक विपरीत ही हो गई है। – दिलीप जावलकर, सचिव वित्त