देश के सैन्य अस्पतालों में अब पुराने आश्रित कार्ड मान्य नहीं होंगे, इस मानक पर मिलेगा इलाज
देश के सैन्य अस्पतालों में अब पुराने आश्रित कार्ड मान्य ही नहीं होंगे, जबकि आश्रित माता-पिता की आय 9000 मासिक से अधिक है तो उन्हें इलाज ही नहीं मिलेगा। रक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में सभी कमांड को पत्र भी लिखा गया है।
पत्र में कहा गया कि अब से सेना आदेश 74,75 के चले आ रहे डिपेंडेंट कार्ड अस्पतालों में चिकित्सा पात्रता के लिए आश्रित कार्ड के रूप में स्वीकार ही नहीं किए जाएंगे। इस तरह का आश्रित कार्ड प्रस्तुत करने वाले किसी भी आश्रित को सेना अस्पताल में इलाज से वंचित भी कर दिया जाएगा। सेना के जवानों और अधिकारियों के आश्रित माता-पिता व अन्य को सेना के अस्पतालों में डिपेंडेंट कार्ड के आधार पर इलाज मिलता है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि आश्रित कार्ड जारी करने की प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान फर्जी तरीके से तैयार किए गए आश्रित कार्डों की शिकायत भी मिली है। जिनका उपयोग सेवा कर्मियों के अपात्र रिश्तेदार चिकित्सा सेवा का लाभ उठाने के लिए भी कर रहे हैं। वर्तमान में सेना के जवान और अधिकारियों के आश्रित जिस कार्ड सेना आदेश 74, 75 बी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वह केवल भारतीय एयरलाइंस में यात्रा रियायत भी प्रदान करता है। इसके अलावा माता-पिता आश्रितों की मासिक आय 9000 रुपये से अधिक भी नहीं होनी चाहिए। सेवाकर्मी जिले के राजस्व विभाग की ओर से जारी माता-पिता का आय प्रमाणपत्र या फिर आयकर विभाग की ओर से जारी वार्षिक आय प्रमाणपत्र जमा भी करेंगे। जिसका उपयोग माता-पिता की आय सीमा का पता लगाने के लिए भी किया जाएगा।
हालांकि, आपातकालीन मामलों में इलाज से इन्कार भी नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में मरीज को भर्ती कर इलाज भी किया जाएगा। अस्पताल ऐसे प्रवेश के बारे में इकाई को सूचित भी करेंगे, जो एमईसी पर कार्रवाई करेंगे।
पत्र में यह भी कहा गया कि आश्रितों को अस्पताल अधिकारियों की ओर से सत्यापन के लिए आधार की एक प्रति के साथ मेडिकल एंटाइटेलमेंट सर्टिफिकेट (एमईसी) ले जाना आवश्यक भी होगा, जब तक कि अस्पतालों में आधार बायोमीट्रिक टर्मिनल स्थापित भी नहीं हो जाते।
उत्तराखंड सैनिक बहुल प्रदेश है, यहां करीब डेढ़ लाख से अधिक पूर्व सैनिक हैं, जबकि अन्य सशस्त्र बलों के पूर्व जवानों की संख्या करीब 70 हजार से अधिक है। सेना का हर 5वां जवान उत्तराखंड से ही है। सेना के अस्पतालों में इलाज के लिए आश्रित माता-पिता की मासिक आय मात्र 9000 रुपये ही निर्धारित करना सेना के जवानों के साथ अन्याय भी है। एक दैनिक श्रमिक की आय इससे अधिक है। इस तरह के आदेश से बड़ी संख्या में आश्रित माता-पिता इलाज से ही वंचित रह जाएंगे। -शमशेर सिंह बिष्ट, केंद्रीय अध्यक्ष, पीबीओरआर पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन
सेना जनसंपर्क अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव सेना ने नए डिपेंडेंट कार्ड बनाने भी शुरू कर दिए हैं, अधिकतर के कार्ड भी बन चुके हैं। रही बात आश्रित माता-पिता की 9000 रुपये मासिक आय की केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप सेना ने इसमें बदलाव कर ही ऐसा किया है। पहले भी इसमें समय-समय पर बदलाव भी किया गया है।