क्यूआर कोड से ही बिकेंगी प्रदेश में 300 ब्रांड की दवाइयां, नकली दवाइयों की आपूर्ति पर रोक

उत्तराखंड में नकली दवाइयों की आपूर्ति रोकने के लिए 300 ब्रांड की दवाइयां अब क्यूआर कोड से ही बिकेंगी। फार्मा विनिर्माण उद्योगों को दवाइयों की पैकिंग पर अब अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड भी लगाना होगा। प्रदेश में दवाइयों के रिटेलर और होलसेलर विक्रेता अब क्यूआर कोड वाली दवाइयों की बिक्री करेंगे।

 

इस संबंध में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने आदेश भी जारी किए हैं। क्यूआर कोड से दवाइयों के नकली या असली होने का पता भी लग सकेगा। नकली दवाइयों को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अधिसूचना जारी कर प्रचलित 300 दवाइयों के ब्रांड लेबर पर क्यूआर कोड अनिवार्य किया है। जिससे क्यूआर कोड को स्कैन कर दवाइयों के ब्रांड की सत्यता भी जांची जाएगी।

 

राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह नेगी ने बताया, केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के आधार पर ही प्रदेश के सभी फार्मा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को दवाइयों के ब्रांड पर क्यूआर कोड लगाने के लिए निर्देश भी दिए गए थे। वर्तमान में राज्य में लगभग 300 फार्मा कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों ने दवाइयों की पैकिंग पर क्यूआर कोड प्रिंट करना भी शुरू कर दिया है।

 

बुधवार को विभाग ने सभी दवा विक्रेताओं को आदेश जारी किए कि क्यूआर कोड प्रिंट दवाइयों की बिक्री ही की जाए। इसमें टेलमा एएम, एसीलॉक टेबलेट, ऑगमेंटिन डुओ, बिटाडिन, बिकासूल कैप्सूल, बेटनोवेट क्रीम, कॉलपोल टेबलेट, कांबिफ्लेम, मोंटेयर एलसी टेबलेट, रोसुवेस, टेलमा एच समेत 300 ब्रांड की दवाइयों पर क्यूआर कोड लगना अनिवार्य ही है। विभाग ने दवा विक्रेताओं को आदेश भी दिए कि क्यूआर कोड स्कैन करने दवाइयों की सत्यता जांच कर ही बिक्री की जाए। यदि नकली दवा की आपूर्ति की जा रही है तो तत्काल विभाग को सूचित भी करें।