कोविड के साथ ही सीजनल इन्फ्लुएंजा का खतरा भी बढ़ रहा, सीजनल इन्फ्लुएंजा के मरीज लगातार बढ़ ही रहे हैं
कोविड के साथ ही सीजनल इन्फ्लुएंजा का खतरा भी बढ़ रहा है। देहरादून के दून अस्पताल के रेस्पिरेटरी विभाग में आने वाले सभी मरीजों की इन्फ्लुएंजा की जांच भी की जा रही है। जिले में 2 कोविड के मरीज मिल चुके हैं। वहीं, सीजनल इन्फ्लुएंजा के मरीज लगातार बढ़ ही रहे हैं।
अब तक 5 से अधिक इन्फ्लुएंजा-ए के मरीज आ चुके हैं। ऐसे में बीते सोमवार से दून अस्पताल में मरीजों के लिए फ्लू ओपीडी भी शुरू हो गई है। पहले दिन यहां पर 20 मरीजों ने इलाज करवाया। दून अस्पताल के एमएस डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सीजनल इन्फ्ललुंजा और कोविड के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इसमें बुखार, बदन दर्द, सर्दी और जुकाम की समस्या होती है। हालांकि कुछ मरीजों में यह ज्यादा और कम भी हो सकता है।
इसके लिए अलर्ट रहने की भी जरूरत होती है। ऐसे में मरीज को आइसोलेशन की भी जरूरत होती है। अस्पताल में बुखार, खांसी और जुकाम के मरीजों की इन्फ्लुएंजा जांच की जा रही है। फ्लू ओपीडी में दिखाने के बाद मरीज को संबंधित विभाग में इलाज के लिए भी भेजा जाएगा।
सोमवार को कोविड का कोई नया मरीज नहीं मिला है। सोमवार को 11 मरीजों की आरटीपीसीआर जांच हुई थी सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। डॉ. सीएस रावत, जिला सर्विलांस अधिकारी
इन्फ्लुएंजा-ए और बी में खतरा नहीं डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि 2009 में स्वाइन फ्लू आया था। उस समय कुछ मरीजों की मौत हुई थीं। इसके बाद इस बीमारी को सरकार ने 3, 4 साल तक फॉलो किया। इसके बाद इसमें मौत भी कम होने लगीं। इसके बाद इसको सीजनल इन्फ्लुएंजा की श्रेणी में डाल दिया गया। इन्फ्लुएंजा के ए, बी व सी केटेगिरी में ए और बी खतरनाक नहीं होता है। सी केटेगिरी होने पर मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। हालांकि किसी भी बीमारी से पहले जांच भी जरूरी होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह क्लियर किया कि स्वाइन फ्लू वायरस अब सीजनल इन्फ्लुएंजा यानी मौसमी जुकाम व बुखार है। अधिकतर मरीजों में यह मामूली जुकाम और बुखार की तरह ही होता है। लक्षण बढ़ने पर डॉक्टरी परामर्श के बाद ही दवा लेनी चाहिए। डॉ. पंकज सिंह, स्टेट सर्विलांस अधिकारी
क्या है लक्षण
- सिर दर्द
- खांसी
- जुकाम, गले में खराश
- बुखार और ठंड लगना
- बदन दर्द
- थकान और कमजोरी
- जी मिचलाना
- निमोनिया
- सांस की समस्या
यह बरतें सावधानी
- किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें
- मरीज को आइसोलेट कर दें
- मरीज की इस्तेमाल की हुई चीजें इस्तेमाल न करें
- मरीज के खांसने और छींकने से यह संक्रमण फैल सकता है
- डॉक्टर से सलाह लें