कैलाश गहतोड़ी अपने पीछे यादों का एक लंबा चौड़ा कारवां छोड़ गए, मदद के लिए हमेशा रहते थे तैयार

कैलाश गहतोड़ी अपने पीछे यादों का एक लंबा चौड़ा कारवां छोड़ गए हैं। एक अच्छे नेता के रूप में तो कैलाश गहतोड़ी को याद किया ही जाएगा, वह जरूरतमंदों के बड़े मददगार के रूप में भी याद आएंगे। कैलाश गहतोड़ी जीवन पर्यंत लोगों की मदद के लिए सदैव ही तत्पर रहे। उनके दरवाजे पर कोई भी जरूरतमंद आया तो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटा।

 

काशीपुर में दो मुख्य कामों के लिए गहतोड़ी के नाम की अक्सर चर्चा भी होती रही है। एक उनकी सांई भक्ति व दूसरी जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने की उनकी भावना। गहतोड़ी के बेहद करीबी रहे बीजेपी के प्रदेश महामंत्री खिलेंद्र चौधरी ने बताया कि कारोबार करने के लिए काशीपुर आए कैलाश बेहद विनम्र व मददगार प्रवृत्ति के इंसान थे। वह चंपावत व अन्य पर्वतीय क्षेत्रों के लिए गरीब बच्चों को काशीपुर लाकर अपने स्कूलों में निशुल्क शिक्षा भी उपलब्ध कराते रहते थे। आज भी कई बच्चे उनके स्कूल में निशुल्क ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। भक्तिभाव में रमे रहने वाले कैलाश ने सांई मंदिर की स्थापना भी कराई, जो काशीपुर का प्रसिद्ध मंदिर भी है।

 

एक दशक पहले सरबरखेड़ा मंदिर सांई मंदिर ढेला नदी की बाढ़ में बह भी गया था। मंदिर को नदी में समाते देख उन्होंने बाबा के मंदिर के निर्माण का संकल्प भी लिया था। इसके बाद जैसे ही हालात सकारात्मक हुए तो उन्होंने भव्य सांई मंदिर का निर्माण भी कराया जहां श्रद्धालुओं की भीड़ भी जुटती है।

 

कैलाश दा के सपनों को मैं पूरा करूंगा : मुख्यमंत्री धामी

कैलाश दा का जाना अपूर्णीय क्षति भी है। कैलाश दा बहुत ही सरल व सहज थे। हमेशा लोगों की मदद भी करते थे। सरकारी काम अपनी जगह पर लेकिन व्यक्तिगत लोगों के सुख व दुख में उनकी मदद के लिए आगे आना उनका स्वभाव भी था। वह जिन पदों पर भी रहे वहां उन्होंने बढ़-चढ़कर ही लोगों की सेवा की। चंपावत को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा ही योगदान है। उनके बहुत बड़े सपने व संकल्प हैं । कैलाश दा के सपनों को मैं पूरा करूंगा। उनके सभी कामों को भविष्य में आगे भी ले जाएंगे। यह बातें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भावुक होकर कैलाश गहतोड़ी के निधन के बाद कहीं।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैलाश दा का जाना पार्टी व समाज के साथ ही मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। जो उन्होंने शुरू किए थे, जिन कामों को वह करना चाहते थे।

मुझे हमेशा उन्होंने अपने छोटे भाई के समान ही माना, हमेशा मुझे स्नेह व आशीर्वाद दिया, जब भी मुझे उनकी जरूरत पड़ी, उन्होंने मेरा साथ भी दिया। आज मन बहुत दुखी है कि अचानक वह हम सबको छोड़कर चले गए।