कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में आज कांग्रेस पदाधिकारियों की एक बैठक हुयी, कांग्रेस ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भटट की टिप्पणी पर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में आज (गुरुवार) वरिष्ठ कांग्रेस पदाधिकारियों की एक बैठक हुयी। बैठक में वक्ताओं ने कल राज्य आंदोलनकारी संगठनों द्वारा भूकानून और मूल निवास की मांग को लेकर निकाली गई रैली पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भटट की टिप्पणी पर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
बैठक में बोलते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन/प्रशासन मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के गर्भ से जन्मा है। आन्दोलनकारियों ने राज्य के लिये अपनी शहादतें दी है। भाजपा अध्यक्ष आन्दोलनकारियों की भावना व राज्यहित की मांग को राजनीति से प्रेरित एक कुचेष्टा बता रहें हैं, जो भाजपा अध्यक्ष के मानसिक दिवालियेपन को दर्शाता है।
मीडिया प्रभारी पी0के0 अग्रवाल ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राज्य कि जनभावना का सम्मान करना नही जानते हैं। आंदोलनकारी उत्तराखंड की मिट्टी से जुडे हुए हैं। उनके आंदोलन को भाजपा अध्यक्ष ने क्यों राजनैतिक कुचेष्ठा बताया ये समझ से परे है, भाजपा अध्यक्ष को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नही हैं।
राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर सोशल मीडिया विभाग अमरजीत सिंह ने कहा कि भू-कानून व मूल निवास कि मांग जनभावना के अनुरूप है, आंदोलनकारी संगठन, विभिन्न सामाजिक संगठन व समाज की जागरूक जनता के मुख्यमंत्री आवास कूच को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने राजनैतिक कुचेष्ठा बता कर आंदोलनकारी व सामाजिक संगठनों को अपमानित करने का काम किया है। जिसके लिए भाजपा को उनके खिलाफ कडी़ कार्यवाही करनी चाहिए।
मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने कहा कि चुनाव पूर्व भाजपा ने सख्त भूकानून व लोकायुक्त का वादा जनता से किया था मगर जनता से किये वादे पर भाजपा ने कुछ नही किया ना लोकायुक्त जनता को मिला ना भूकानून, भाजपा यूसीसी लाने की बात कर जनता का ध्यान मुददों से भटकाना चाहती है, क्योंकि उत्तराखण्ड को सख्त भू-कानून व लोकायुक्त की ज्यादा जरूरत है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने अर्नगल बयान देकर आन्दोलनकारियों की मंशा पर ही सवाल खडें कर दिये हैं जिसके लिए उन्हें अपने पद से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सर्वप्रथम राज्य में भूमि खरीद को 500 वर्ग गज तक सिमित किया। खण्डूरी सरकार ने संशोधन कर 250 वर्ग गज तक भूमि खरीद को सिमित किया। मगर त्रिवेन्द्र सरकार ने इस कसरत को पलीता लगाने का काम किया व 2018 में अध्यादेश लाकर भूमि खरीद में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन कर आखिर क्यों उद्योग के नाम पर राज्य में भूमि लूट की खुली छुट दी अब राज्य आन्दोलनकारी सख्त भू-कानून की मांग कर रहें हैं तो भाजपा अध्यक्ष आन्दोलनकारियों के कुच को राजनीति से प्रेरित कुचेष्टा बता रहे हैं जो निंदनीय व शर्मनाक बयान है। भाजपा अध्यक्ष को राज्य कि आंदोलनकारी जनता व आन्दोलनकारियों से माफी मांगनी चाहिए और भाजपा को अपने अध्यक्ष के खिलाफ कडी कार्यवाही करनी चाहिए।