उत्तराखंड सरकार वन भूमि के बदले प्रतिपूरक वन रोपण के लिए गैर वन भूमि का एक लैंड बैंक बनाने की योजना तैयार

उत्तराखंड सरकार वन भूमि के बदले प्रतिपूरक वन रोपण के लिए गैर वन भूमि का एक लैंड बैंक बनाने की योजना को तैयार कर रही है। राज्य में मौजूदा व भावी बड़ी परियोजनाओं की राह में जमीन की कमी भी बड़ी अड़चन है।

 

लैंड बैंक में शामिल इस भूमि का उपयोग प्रतिपूरक वन रोपण के लिए भी हो सकेगा। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने एक बैठक में इस योजना का एक प्रस्ताव को तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं। प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक भूभाग वन क्षेत्र भी है। इस कारण राष्ट्रीय महत्व और राज्य हित की योजनाओं में वन भूमि की आवश्यकता भी होती है, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण के लिए दोगुनी गैर वन भूमि जुटाने में राज्य सरकार के पसीने भी छूट रहे हैं।

 

हालांकि, हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मानकों में कुछ छूट भी दी है, लेकिन प्रदेश में गैर वन भूमि बेहद सीमित मात्रा होने के कारण दिक्कतें भी हैं। गैर वन भूमि सहज उपलब्ध न होने से सड़कों की कई अहम निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। मिसाल के तौर पर हल्द्वानी-नैनीताल सड़क चौड़ीकरण होना है व काशीपुर-रामनगर फोर लेन बनना है।

 

इन दोनों प्रोजेक्टों के लिए गैर वन भूमि जुटाना विभाग के लिए मुश्किल भी हो गया है। ऐसी ही अन्य परियोजनाएं हैं, जिनकी वनीय स्वीकृति मिलने में देरी भी हो रही है।

 

उत्तर प्रदेश सरकार वर्ष 2022 में ही लैंड बैंक बना चुकी है। चूंकि, राज्य में सिंचाई विभाग की बड़ी मात्रा में भूमि भी उपलब्ध थी, इसलिए यूपी ने 600 हेक्टेयर भूमि का लैंड बैंक भी बना लिया है, लेकिन उत्तराखंड में सिंचाई और अन्य किसी विभाग के पास इतनी भूमि ही नहीं है, इसलिए कई विभागों की सरकारी भूमि को चिह्नित कर लैंड बैंक बनाने पर भी विचार हो रहा है।

 

प्रतिपूरक वन रोपण के लिए देश में कहीं पर भी उपयुक्त भूमि का चयन हो सकता है, इसलिए उत्तराखंड सरकार राज्य की सीमा के पास उत्तर प्रदेश या अन्य राज्य में सस्ती दरों पर 1000 हेक्टेयर भूमि की खरीद करने पर विचार भी कर रही है। इस भूमि को लैंड बैंक के रिजर्व पूल में शामिल कर दिया जाएगा। इसके लिए लोनिवि, वन और राजस्व विभाग की एक समिति बनेगी, जो योजना के आगे के स्वरूप को भी तय करेगी। वन विभाग इसका एक प्रस्ताव भी तैयार करेगा, जिसे मंत्रिमंडल के समक्ष भी रखा जाएगा।

 

लोनिवि के सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया पौधरोपण के लिए गैर वन भूमि की उपलब्धता में बहुत कठिनाई है। इस कारण सड़कों के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में भी विलंब हो रहा है। लैंड बैंक बनने से वन भूमि हस्तांतरण के प्रकरणों के निपटारे में भी आसानी होगी। पहले से भूमि उपलब्ध होने से उस पर क्षतिपूर्ण पौधरोपण भी किया जा सकेगा। इससे परियोजनाओं को समय पर पूरा करना भी संभव हो पाएगा।

प्रमुख वन सचिव आरके सुधांशु ने कहा गैर वन भूमि का लैंड बैंक तैयार करने पर अब विचार हो रहा है। मुख्य सचिव ने इस संबंध में निर्देश भी दिए हैं। राज्य के भीतर व राज्य से बाहर भी उपयुक्त निजी भूमि सस्ती दरों पर खरीद कर उसका एक बैंक भी बनाया जा सकता है। भूमि उपलब्ध होने से परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया में कम समय लगेगा व विकास की गति में भी तेजी आएगी।