उत्तराखंड में पिछले 10 वर्ष में इस वर्ष बिजली दरों में लगातार तीसरी बड़ी बढ़ोतरी हुई, यहां देखें इससे पहले कब कितनी दरें बढ़ी

उत्तराखंड में पिछले 10 वर्ष में इस वर्ष बिजली दरों में लगातार तीसरी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष 2015 में 7 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी भी की गई थी। वहीं, वर्ष 2009 में सर्वाधिक 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी।

 

किस साल कितने प्रतिशत महंगी हुई है बिजली

वर्ष प्रतिशत बढ़ोतरी
2009-10 17
2010-11 10
2013-14 5
2014-15 00
2015-16 7.30
2016-17 5.10
2017-18 5.80
2018-19 2.60
2019-20 3.50
2020-21 4.50
2021-22 4.30
2022-23 2.68
2023-24 9.64
2024-25 6.92

 

उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) जो बिजली यूपीसीएल को देता है, इस बार उसके दामों में भी 7.14 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यूजेवीएनएल ने 24.84 प्रतिशत की मांग भी रखी थी। नियामक आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद के मुताबिक, 9 बड़े विद्युत गृहों छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल, चीला, रामगंगा, खटीमा और मनेरी भाली-1 के लिए यूजेवीएनएल ने वार्षिक स्थिर प्रभार 672.85 करोड़ भी मांगा था, जिसके सापेक्ष नियामक आयोग ने 576.63 करोड़ ही दिए। मनेरी भाली-2 के लिए यूजेवीएनएल ने 240.26 करोड़ की मांग भी की थी, जिसके सापेक्ष 207.05 करोड़ ही मिले। कुल मिलाकर यूजेवीएनएल की 24.84 प्रतिशत की मांग के सापेक्ष 7.14 प्रतिशत बढ़ोतरी को ही मंजूरी भी मिली है। वहीं, यूपीसीएल को इस वित्तीय साल में यूजेवीएनएल के 126.14 करोड़ लौटाने को कहा गया है। वह 12 समान किस्तों में भी लौटा सकता है।

 

पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) ने इस वित्तीय साल में वार्षिक पारेषण प्रभार के लिए कुल 607.24 करोड़ रुपये की मांग भी रखी थी, जिसके सापेक्ष आयोग ने 364.37 को ही मंजूरी दी है। कुल मांग 71.43 प्रतिशत बढ़ोतरी के सापेक्ष 2.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी को ही आयोग ने मंजूरी भी दी है। वहीं, पिटकुल ने पारेषण प्रभार के अतिरिक्त 300 करोड़ 42 लाख रुपये की प्रारंभिक इक्विटी के लिए लाभांश और वित्तयी वर्ष 2024-25 के लिए 573.21 करोड़ की मांग शासन को पावर डेवलपमेंट फंड अंशदान के रूप में इक्विटी के तौर पर मांगी थी, जिसे नियामक आयोग ने नकार ही दिया है।