उत्तराखंड के ढाई लाख से ज्यादा सरकारी, संविदा, आउटसोर्स कर्मचारी राज्य में चुनावी हवा बनाने व चुनाव का रुख मोड़ने का दम रखते हैं, ये हैं सबसे बड़े मुद्दे

उत्तराखंड के 2.5 लाख से ज्यादा सरकारी, संविदा, आउटसोर्स कर्मचारी राज्य में चुनावी हवा बनाने व चुनाव का रुख मोड़ने का दम रखते हैं। इन कर्मचारियों की मुख्य मांगें राष्ट्रीय स्तर भी एक साथ ही उठती आ रही हैं। कई सरकारों ने इनकी मांगों को प्राथमिकता दी व सत्ता में आने पर पूरा किया। उत्तराखंड में 2.5 लाख से अधिक सरकारी व अन्य कर्मचारी हैं।

 

इनमें 1,75,000 तो सरकारी कर्मचारी हैं, जो सीधे तौर पर हर महीने वेतन सरकार से पाते हैं। उपनल, संविदा और आउटसोर्स के मिलाकर करीब 40 हजार कर्मचारी हैं और निगमों-निकायों के भी करीब 40 हजार कर्मचारी हैं। उत्तराखंड के 2.5 लाख कर्मचारी चुनाव में निर्णायक भूमिका भी निभाएंगे। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस बार के चुनाव में कर्मचारियों के पास कई मुद्दे हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली का ही है।

 

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष बीपी सिंह रावत का कहना है कि देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिक भी हैं। वोट शत-प्रतिशत हो, इसके लिए एनपीएस कार्मिक जनजागरण अभियान भी चला रहे हैं, ताकि वोट देने से कोई रह भी न जाए। इसके अलावा कर्मचारियों के पास ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनके समाधान की वो आस भी लगाए बैठे हैं।

 

कर्मचारी नेताओं के मुताबिक आयकर सीमा कम से कम 10 लाख रुपये करने, संविदा और उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण और 8वें वेतन आयोग का गठन भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं। वो कहते हैं कि भले ही इन मुद्दों का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है, लेकिन उम्मीद है कि अब जिस भी पार्टी की सरकार आएगी, वो इनका समाधान भी जरूर करेगी।

 

इन मांगों पर कर्मियों का जोर

  • पुरानी पेंशन बहाली।
  • आयकर सीमा कम से कम 10 लाख रुपये तक करने।
  • संविदा और उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण।
  • 8वें वेतन आयोग का गठन।
  • आयकर सीमा बढ़ाने का इंतजार भी बरकरार

 

आयकर सीमा बढ़ाने को लेकर वैसे तो लंबे समय से कर्मचारियों की निगाहें केंद्र की ओर ही रही हैं। हर वर्ष उनका वेतन भले बढ़ रहा हो, लेकिन आयकर सीमा का स्लैब न बढ़ने की वजह से उनकी देनदारियां बढ़ रही हैं। लिहाजा, वेतन बढ़ोतरी के बावजूद उनकी कटौतियां भी मुश्किलें बढ़ा रही हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि आने वाली सरकार आयकर सीमा को बढ़ाकर कम से कम 10 लाख तो करे। इससे कर्मियों की आर्थिक स्थिति व भविष्य कुछ सुरक्षित होगा।

 

देश में 7वें वेतन आयोग का गठन 28 फरवरी 2014 को हुआ था। उत्तराखंड में 1 जुलाई 2016 से 7वें वेतनमान का लाभ दिया गया। अब सभी कर्मियों की निगाहें 8वें वेतनमान पर हैं। कर्मचारियों का मानना है कि जो भी नई सरकार सत्ता में आए, वह अगले वेतनमान के बारे में बात भी करे। कुछ अहम फैसला भी ले, ताकि उनकी यह उम्मीद पूरी हो जाए।

 

पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा हमारी सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन बहाली की ही है। इसके लिए हम लंबे समय से संघर्ष भी कर रहे हैं। सांसदों से लेकर विधायकों, सीएम तक से मुलाकात कर ज्ञापन दे चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक यह मांग पूरी भी नहीं हुई है। आने वाली नई सरकार से हम उम्मीद करते हैं कि वह पुरानी पेंशन की मांग को भी जरूर पूरा करेगी।

 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा वैसे तो कर्मचारियों की कई मांगें हैं, लेकिन अगर ओवरऑल लोकसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो पुरानी पेंशन बहाली व आयकर सीमा को बढ़ाने की ही प्रमुख मांग भी है। हम अब ये उम्मीद जता रहे हैं कि आने वाली नई केंद्र सरकार उनकी इन मांगों पर कुछ अहम कदम भी उठाएगी।

 

पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, संरक्षक पंचम सिंह बिष्ट ने कहा पिछले लंबे समय से हमारी सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन बहाली की ही है। कर्मचारी रिटायर होने के बाद एनपीएस में कुछ हासिल नहीं कर पा रहा है। उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। पूरे जीवन काम करने के बाद ये इनाम मिल रहा है। सरकार पुरानी पेंशन बहाल करे, इस दिशा में अहम कदम भी उठाए जाएं।